उड़ान
उड़ान
लौट आये पंछी
छोड़कर अपनी उड़ान,
कुछ गिद्ध घात लगाए
उनके इंतज़ार में थे,
पक्ष...झड़ गए,
वेग की चपेट में,
कुछ घायल भी
हुआ था मन,
अनजाने भय से...
तूफानों की लपेट में,
लेकिन उड़ना
भूलना नहीं ए खग,
गगन बुलाता है
तुम समेटकर दर्द,
फिर उड़ जाना
गंतव्य की ओर,
वो गिद्ध अब है...
खुद बेड़ियों में,
थे चीरने को आतुर
ज़ो खुला आसमान,
अपनी करनी पर भी
जो अकड़ गए,
अब हज़ार बंधनों में
वो जकड़ गए, क्यूँकि!
उखड़ गयी उनकी ज़मीन
छिन गया है आसमान।