कुछ तो है
कुछ तो है
एक दिन मिले दो अंजान
न कोई जान न पहचान
फिर भी कुछ तो है
दोनो के दरमियान
न तुमने कुछ कहा
ना मैंने कुछ कहा
फिर भी बन गई अनकही दास्तान
कुछ तो है
दोनो के दरमियान
ना मंजिल का पता
न रास्ते की पहचान
चल पड़े सफर पे अंजान
कुछ तो है
दोनों के दरमियान।

