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Sheetal Dange

Abstract Fantasy Inspirational

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Sheetal Dange

Abstract Fantasy Inspirational

बहुरूपदर्शी

बहुरूपदर्शी

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नारी का है जन्म अनूठा, बहुरूपदर्शी

आयु के हर चक में रचती, नई, अनोखी सुकृती।


बचपन में बहती एक ताज़ा हवा के झोंके सी

तरुणाई में बन बूंद किसी अपने को तर करती।


गृहस्थ जीवन में पड़कर बूंद बने दरिया

सींचे घर की कोंपलें और कुटूंब की गलियाँ।


दरिया से समन्दर बनी, कलुषता हटाती रही अटल

जल चक की, जीवन चक्र की करती रही पहल।


प्रोणावस्था आते आते हुई सहनशील धरती सी

कैसा भी हो मौसम, रंग सलौने ये भरती रही।


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