कविता
कविता
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मेरी रचनाएँ, मेरा शौक नहीं, मेरे जीवन का हिस्सा हैं
मेरे दिल की लब डब, मेरी साँसों की हम्-साँ हैं
कौन सा पल बीता है भला इनके बिना ये ही हैं
जो मेरी तन्हाइयों में चहकती, मेरी महफिलों में परेशाँ हैं
पुरजोर निभाती हैं ये मेरे लिए सभी रिश्ते कभी सहेलियों सी अठखेलती,
कभी माशूक की अदा हैं
भाई का मनुहार तो कभी माँ का दुलार बेटे की शरारत और बेटी की अरोहना हैं
कोई पूरी, कुछ अधूरी, कुछ अंत को तरसती हर हाल में मगर,
मेरी जिन्दगी का हाले - बयाँ हैं।