वरदान
वरदान
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सद्बुद्धि, श्री विद्या का, हे प्रभू, सबको दो वरदान
विकट समय में ही होती है व्यक्तिव की पहचान
निज गुण को पहचान के, कर्म करें महान
हर जन का योगदान हो, हर जन का सम्मान
वीर सभी हैं, दें अगर, स्वधर्म को अंजाम
देश सेवा हो जाएगी , करें जो अपना काम
साध ले मन को ,ताप ले तन को, आन बसेंगे प्राण ।
कर्म की काठी से बंध कर ही पूरा होगा विधान ॥