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Aruna Thacker

Abstract Fantasy

4  

Aruna Thacker

Abstract Fantasy

दाने

दाने

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ऐसे ही पड़े है आज

       मेरे आंगन में दाने

आये होंगे शायद

       सब पंछी अनजाने।


शायद वो समझे होंगे

      गैर है यहां कोई

है यहां सब अपने

      कैसे जाऊं समझाने!


वो उड़कर देखते हैं

       मैं भी उन्हें देखा करूं

वो एक बार तो आये

       मेरी ये बात मानें।


पेड़ पर तो आ गये

       डाली पे बैठे इत्मीनान से

उनकी मौज देखकर

        पत्ते लगे मुस्काने।


तू ठहर जा अब वहीं

        मैं भी ना जाऊं कहीं

चलो मिल के गुनगुनाये

       वो भूले बिसरे गाने


ऐसे ही पड़े है आज

       मेरे आंगन में दाने…



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