गुलाब
गुलाब
खिलकर चेहरा गुलाब रहता है
ऐसा सजकर जनाब रहता है
प्यार इजहार कर दिया उससे
कब लबों पे ज़वाब रहता है
कॉल कैसे करूँ उसे मैं तो
फोन उसका ख़राब रहता है
कैसे दीदार उस हंसी का हो
उस चेहरे पे नकाब रहता है
होश में कब रहता वही अपने
पीता वो ही शराब रहता है
मारने को तैयार है पत्थर
हाथ में कब गुलाब रहता है
प्यार का ख़त लिखता नहीं मुझको
पढ़ता ही वो किताब रहता है
ग़म मिला है आज़म को अपनों से
रोज़ आँखों में आब रहता है
आज़म नैय्यर