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Saraswati Aarya

Inspirational

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Saraswati Aarya

Inspirational

एक नई शुरूआत

एक नई शुरूआत

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मैं हारी हूँ हर बार

कश्ती न जाने क्यूँ ?डूब जाती है मझधार

कहीं न मिलता किनारा

रह न पाती न इस पार, न उस पार

अपनी मंजिलों को खुद से दूर होता देख

आँखों से बहती आँसू की धार


पर अब 

छोड़ निराशाओं को दूर

मैं नई प्रभात बन बिखरूंगी

मैं अब एक नई शुरूआत करूँगी

 

उस नील गगन में उड़ने के वादे

खुद से कई बार किये

मेरी आँखों में भी जलते रहे

कभी सूरज से तो कभी जुगनुओं से

अनगिनत दिए

पर मैंने कभी खुद ने तो कभी समाज ने

मेरे हौसलों को तोड़ दिया

मेरा नाता निराशाओं और अंधेरों से जोड़ दिया


पर अब

सुबह की पहली किरण जैसे 

निर्मल और उम्मीदों से परिपूर्ण ख्यालात लिये

मैं एक नई सुबह बन सवरूंगी 

मैं अब एक नई शुरूआत करूँगी


मैं हारी हूँ तो इसमें खामियाँ मेरी भी हैं

जमाने ने बोला तू "बेटी है बेटी "

मैंने भी तो सोच लिया

मैं बेटी हूँ 

आखिर मैं क्या कर पाऊँगी? 

राहों में खड़े होंगे हजार कांटे

मैं तो डर जाऊँगी


पर अब

अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाकर

खुद को माँ दुर्गा सी शक्तियों से रचाकर

कभी अच्छे तो कभी बुरे हालात लिये

मेहनत के हर गली मोहल्ले से गुजरूँगी

मैं अब एक नई शुरूआत करूँगी



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