मैं फौजी कहलाता हूँ
मैं फौजी कहलाता हूँ
दिल में देश सेवा के जज्बात लिये
मन वचन और कर्म से
देश पर समर्पित होने के ख्यालात लिये
मैं फौजी बन आता हूँ
मैं फौजी कहलाता हूँ
कठिन रहता है अभ्यास
मुझे अपनी मंजिल की तलाश
कंधे पर रहता भारी बोझ
और मैं प्यासा रह जाता हूँ
मैं फौजी कहलाता हूँ
अपनी माँ से रहा हूँ दूर
राहों में नजरें टिकाए बैठा रहता
मांग का सिंदूर
अपनी आँखों से भी बहती आँसू की बौछार
हृदय कहता न जाने कब खत्म होगा
ये इंतजार
त्याग और बलिदान में साथी बनता मेरा परिवार
तभी में देश का रखवाला बन पाता हूँ
मैं फौजी कहलाता हूँ
मेरे कदमों में रहती रफ्तार
कभी चट्टान तो कभी नदिया के पार
एक तरफ मेरी गोलियां
दूसरी तरफ शत्रु करता प्रहार
कभी मैं शत्रु को मार गिराउं
कभी अपने तिरङ्गे पे शहीद हो जाता हूँ
मैं फौजी कहलाता हूँ
मैं सोचता हूँ
मैं किस्मत वाला हूँ
मुझे अपने देश पर कुर्बान होने का मौका मिला है
गम नहीं मैं मुरझा गया
मेरा देश रूपी गुलशन खिला है
अपनी अंतिम सांसो में भी मैं
देश की जयजय कार सुनाता हूँ
मैं फौजी कहलाता हूँ
देश के लिए अपना फर्ज निभाया
पर कुछ जिम्मेदारियां पीछे छूट गयी
मेरे जाने से एक गोद सूनी हो गयी
माथे की बिंदियाँ की रोनक खो गयी
किसी के सर से साया उठ गया
ऐसा लगा किस्मत का साथ छूट गया
देश में शान्ति और सुकूंन के लिए
मैं लड़ता रहा मरता रहा
पर आज अपना परिवार रोता है
एक माँ अपना बेटा,
एक पत्नी अपना पति और बच्चा अपना
पिता खोता है
हर दम देश सेवा के लिए तत्पर रहा
पर कुछ वादे अधूरे छोड़ जाता हूँ
मैं फौजी कहलाता हूँ।