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Saraswati Aarya

Inspirational

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Saraswati Aarya

Inspirational

स्वतंत्रता

स्वतंत्रता

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स्वतंत्रता शब्द सुनते ही जहन में

गुलाम भारत की छवि आ जाती है

जिसमें कोई अधिकार न था

अपना कोई व्यापार न था

साँसे चलती थी मगर

जिसमें चेहरे मोहब्बत पाये, मोहब्बत सुनाये

ऐसा कोई घर द्वार न था

फिर कुछ मसीहा आये

महात्मा गांधी, भगत सिंह, और सरदार पटेल

जैसे अनेक कहलाये

स्वतंत्रता के लिए उन्होंने किये अनेकों प्रयास

कई यातनाएँ सहीं

और देश के लिए ली अंतिम सांस

तब स्वतंत्रता की कलियाँ खिल आयी थी

तब हर गालियाँ गुनगुनायी थी

पर आज एक बार फिर

गुलामी का लगता है जैसे पहरा छाया है

उज्ज्वल किरणों वाला सूरज

प्रदूषण संग उग आया है

चाँदनी भी लगता है जैसे थक आयी है

उसे धूल मिट्टी की घेरा बंदी बिल्कुल ना भाई ही

बेटियाँ जन्म से पहले ही बोझ बन जाती हैं

न जाने दुनिया क्यूँ इन्हें पाप कह जाती हैं? 

धन दौलत के लिए दुनिया में मचा ऐसा कोहराम है

न जाने कहाँ खो गये वो राम, ना जाने कहाँ वो 

घनश्याम है? 

ऐसा लगता है जैसे आज हर गली, हर घर में 

एक गुलामी है 

सच्चाई और अच्छाई की हो रही हर जगह 

नीलामी है

आज एक बार फिर हमें स्वतंत्रता के लिए

एक जुट होना होगा

उन वीरों विरागनाओं की याद में रोना होगा

दिलों में खुशहाली, स्वच्छता , एकता के बीजों 

को बोना होगा

याद रखिये स्वतंत्रता तो अपने मकान जैसी है

जिसकी नींव अपनी और छत भी अपनी है

वरना फिर से परतंत्र होकर गुलामी की छाँव में सोना होगा। 


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