दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते,
कुछ हासील करने को,
नहीं बनते,
दिल के रिश्ते तो,
साँसों की तरह होते है।
शरीर के पास,
विकल्प नहीं होता साँसों का,
रजामंदी नहीं होती की,
साँस ले की नहीं।
जो हालत शरीर की,
साँसों के बिना होती है,
वही हालत दिल का,
अपने प्रियतम बिना होता है।
तड़पता है कुछ समय तक,
फिर निर्जीव हो जाता है,
दिल की बिडंबना यह है कि,
यह दिखता नहीं।
इसलिये इसका,
जनाज़ा भी उठने की,
परवाह नहीं होती,
किसी को ।