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तू चले ना चले...

तू चले ना चले...

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तू चले ना चले,

राहें चलती जाएँगी,

अपनी-अपनी मंज़िल की ओर

सूर्य उदय हुआ है तो अस्त भी होगा,

अँधेरा गहराता जाएगा,

तू चले ना चले।

सांसे चलती रहेंगी निरंतर,

थकने और फिर थम जाने तक,

रक्त नाड़ियों में अपने रफ़्तार से बहता रहेगा,

तू चाहे तो उबाल आएगा लहू में,


नहीं तो ख़ून पानी हो जायेगा,

तू कहे ना कहे,

वक्त तेरा हर हर्फ़ लिखेगा,

तू चले ना चले।

जिंदगी चलती जायेगी,

अतित को विस्मृत कर,

वर्तमान के छाती पर,

किसी मासूम बच्चे की अँगुलियों की तरह,


कभी गुदगुदी करते तो,

कभी छाती के बालों को नोच कर पीड़ा पहुँचाते,

यों ही खिलखिलाती रहेगी जिंदगी,


जब तक तू उस पीड़ा में भी आनंद पाते रहेगा,

झुन्झुलाने, गुस्साने पर बिदक कर

दूर चली जाएगी जिंदगी,

तू चले ना चले,

चलती जाएगी जिंदगी


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