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Manoranjan Tiwari

Children Stories

3  

Manoranjan Tiwari

Children Stories

गौरैया

गौरैया

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ओहो! कहाँ गई ओ गौरैया रानी,

कितनी यादें जुड़ी है तुम संग,

तुम संग बनी कई कहानी,

कहाँ गई गोरैया रानी।


कैसे सुन्दर पंख रंगे थे,

सुन्दर सा घोंसला बनवाया,

घर वालों से छुप-छुपा कर,

किताबों वाले दरख्‍त में छुपाया,

खाने को दाना दी तुमको,

पीने को दी कटोरी में पानी,

कहाँ गई ओ गौरैया रानी।


चीं-चीं कर बातें करती थी,

हर वक्त तिनका जोड़ते रहती थी,

कभी आंगन में, कभी मुँड़ेर पर,

चीं-चीं कर हमें बुलाती थी,

पास जाने पर फुर्र से उड़ जाती थी 

तुम सयानी,

कहाँ गई गौरैया रानी।


भरी दुपहरी में, दरवाज़े के पीछे,

माँ कपड़े सीला करती थी,

वहीं पास में तुम चीं-चीं करती,

दाना चुगने में मशगूल रहती थी,

माँ की गीत सुहानी बन जाती थी,

जब मिल जाती थी तुम्हारी वाणी,

कहाँ गई गौरैया रानी।


तुम बिन बचपन होता सुना,

तुम बिना उजड़ पड़ा घर

 का हर कोना,

सुनी पड़ी है, किताबों की अलमारी,

सुना-सुना है खिड़की और चबुतरा,

सुनी पड़ी है अब ढाणी

कहाँ गयी गौरैया रानी ।



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