।। दीपावली 🪔 🪔। ।
।। दीपावली 🪔 🪔। ।
चलो इस बार मिल कर के,
दीवाली यूँ मनाते हैं,
कि जिनके घर अंधेरे हैं,
वहाँ दीपक जलाते हैं
धमाके क्या पटाखों के,
जता पाये सदा दिल की,
चलो हर बात अपनों की,
दीवाली इस सुनाते हैं
सजाएँ घर के दरवाजे ,
रंगोली एक खुशियों की
जो जरा मायूस बैठे हैं,
उन्हें अब घर बुलाते हैं
नये कपड़े हैं बस पहने,
यूँ तो हर बार ही हमने,
जला कर द्वेष अंदर के,
चलो खुद को सजाते हैं
चलन ये तो पुराना है,
दीये रौशन हों हर घर पे,
जो कबसे वनवास हैं काटे,
उन्हें अब घर बुलाते हैं
ये फुलझड़ीयां सितारों सी,
जले तो रौशनी छोड़े,
बड़ा देकर उन्हें कोई कद,
अब तारों में झुलाते हैं
हो बहुत अच्छा कि ऐसा हो,
सजे पकवान थालों में,
जो बस उनको दूर से देखें,
कुछ उनको भी खिलाते हैं
दीवाली पर्व है मिल कर,
मनाने का सभी खुशियाँ
तो जो हैं ठुकराए ज़माने से,
उन्हें हम अपना बनाते हैं
हो जाये खास ये दीवाली
चलो सब को जगाते हैं
चलो सब को जगाते हैं ।।
मेरे सभी मित्र, बंधु, सखा और हितचिंतकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें। चलिये इस बार ये पर्व हम अपने और अपने परिवार तक सीमित न रख कर उन सब को भी इस में सम्मिलित करें जो किसी न किसी रूप में हम से जुड़े हैं या सुखों से वंचित हैं। प्रभु राम के आगमन दिवस पर जब तक हर प्रजा मात्र सुखी न हो ये उत्सव फीका है और हम सब का सामूहिक प्रयास ही हर जन के जीवन में इस त्योहार का उल्लास ला सकता है।।