जिम्मेदारियों से दूरी नहीं
जिम्मेदारियों से दूरी नहीं
निभाते पूरे जोश से हम,
सेवा हमारी अधूरी नहीं,
उठ चले एक इशारे पर,
जिम्मेदारियों से दूरी नहीं।
जिम्मेदारी जीवन में मिले,
बच्चा, बूढ़ा व हर इंसान,
कत्र्तव्यनिष्ठ की जमाने मेें,
हर जगह होती पहचान।
जिम्मेदारी सत्यनिष्ठता से,
निर्वहण करना फर्ज मान,
दुखी दरिद्र और असहाय,
मदद करो ये ईमान जान।
पैदा हुआ जन आजाद हो,
जिम्मेदारियों में बंध जाता,
पूर्ण खरा जो उन पर उतरे,
वो समाज में सम्मान पाता।
निज कत्र्तव्य नहीं निभाता,
दर दर पर भटकता पाता,
गैर जिम्मेदार वो कहलाए,
जब वो मृत्युलोक में जाता।
राजा की जिम्मेदारी होती,
प्रजा रक्षक वो कहलाता,
हर संकट और आपत्ति से,
हर मोड़ पर वो ही बचाता।
प्रजा की जिम्मेदारियां हो,
देश, समाज रक्षक बनना,
बुराइयों को दूर भगाकर,
अच्छाइयों की करे गणना।
कत्र्तव्यनिष्ठ कहलाए राम,
दुष्टजनों को किया तमाम,
मर्यादा में बंधकर उन्होंने,
पाया पूरे जग में ही नाम।
मां बाप की सेवा करना,
बड़े बूढ़ों को दे सम्मान,
जिम्मेदार वो जन कहाये,
ऐसा जन होता है महान।
गुरुजनों की सेवा करना,
भाई बहन से नाता मान,
यथासंभव सहायता करे,
उसे बस जिम्मेदार जान।
देश,प्रदेश,समाज खातिर,
सर्वस्व न्यौछावर जो करे,
जिम्मेदारियों से दूर नही,
कभी किसी से नहीं डरे।
वन,उपवन,पेड़ पौधों की,
सेवा कीर जिम्मेदारी हो,
बखूबी से जो निभा रहा,
जिम्मेदार कहलाता वो।
आओ महामारी से बचे,
औरों को आज बचाएंगे,
जिम्मेदारी बनती सबकी,
इसे प्रमुखता से निभाएंगे।
देख जमाने वालों देखो,
जिम्मेदारियों से दूर नहीं,
आत्मविश्वास दिल भरा,
ऐसे देशवासी मिले नहीं।।
