साक्षी रहे वर्तमान
साक्षी रहे वर्तमान
देश को रखना है आजाद
कर रहा हूं पहरेदारी वतन की
दुश्मनों का खात्मा कर
कर रहा हूं रक्षा उसकी
मेरे इस बलिदान का
साक्षी रहे वर्तमान
भविष्य की परवाह न कर
देश के लिए अर्पण हूं मैं
छोड़ साथ अपने परिवार का
मिट्टी का साथ सौगंध है मेरी
मेरे इस बलिदान का
साक्षी रहे वर्तमान
हर आंधी, तूफानों में यहां
यूं ही डटकर खड़ा हूं मैं
समझे दुश्मन कमजोर अगर
तो फिर उसका अंत हूं मैं
मेरे इस बलिदान का
साक्षी रहे वर्तमान
ना मानूंगा हार मैं
आखरी सांस तक लड़कर भी
लहरे ना जब तक जीत का झंडा
तब तक हार ना मानूँ मैं
मेरे इस बलिदान का
साक्षी रहे वर्तमान
