उगता सूरज
उगता सूरज
कुछ मन की गति दुर्लभ होती है।
कुछ परिस्थितियां कठिन होती हैं।
फिर भी मनुष्यों को आत्म- विसर्जन कर देना चाहिए।
कभी तो जीवन में खुशियां आएगी।
अंतर्निहित पापों के गठरी त्याग देना चाहिए।
तप से तप के निकलना होगा।
तब पसीना होगा।
आज पंक है, किसी दिन पंक में पंकज होगा।
दुखों का तार टूटेगा, सुख का तार जुड़ेगा।
शाम सबेरा आता है।
उससे संघर्ष करना पड़ता है।
तब जीवन के उगता है सूरज।
अग्नि होत्रि में जलना पड़ता है।
अपने आप पर अनुशीलन न करो।
विलाप तीव्रता में खुशियां की बहार आती है।
तुम धीरज रखो चमकदार रोशनी की प्रतीक्षा करो।
कांटे भी फूल बन जाता है।
रोर न बोलो मुख से,
मंजिल के रास्ते जरूर मिलेंगे।
हरे होंगे सूखे डाली पर पत्ते,
जब तुम मिल जुल कर रहोगे।
बहुत आते हैं बवंडर जीवन में।
तुम उनसे मत डरो।
कुछ पाने की ख्वाहिश में मेहनत करो।
जहां कांटे होते हैं, वहीं फूल होते हैं।
बस तुम पाने के लिए तैयारी करो।