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Talat Jamal

Drama Action Classics

4.8  

Talat Jamal

Drama Action Classics

तेरी दीद

तेरी दीद

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सेहर बा-वक़्त उठी, शाम भी वक़्त से ढली 

जो ना हुई तो फक़त, तेरी ही दीद ना हुई 


शाहजहाँ से मुमताज़ मिली, राँझा को हीर मिली 

हमें बदले में वफ़ा के भी, बेवफ़ाई मिली 


चमन को फूल मिले, आसमां को तारों की सौगात मिली 

ना उगी तो मेरी बंजर ज़मी पर, फ़सल कोई ना उगी 


राही को मंज़िल मिली, गुमराह को राह दिखी 

हमें तो तेरी ही याद से, कभी फ़ुर्सत ना मिली 


है आज भी इतज़ार हमें तू आएगा मिलनें 

इसी फरियाद से मैं कई रतियां हूँ जगी।


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