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Talat Jamal

Abstract Tragedy Crime

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Talat Jamal

Abstract Tragedy Crime

आसमान की राह

आसमान की राह

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डर लगता है मुझे खुले आसमान की राह से

हाँ! मैं आज़ाद हूँ पिछले चौहत्तर साल से

ये जानते हुए भी भली प्रकार से

डर लगता है मुझे खुले आसमान की राह से


नहीं कर सकती मैं सफ़र सुनी अनजानी राह पे

हाँ! सच है डरती हूँ मैं बेखौफ़ घूमते हैवान से

ना कर दे हमला मुझ पर हवस मिटाने की फिराक से

डर लगता है मुझे खुले आसमान की राह से


ना खो दूँ अपनी अस्मत मंज़िल तक पहुँचने की चाह में

हाँ! डरती हूँ मैं सपनें देखने के भी ख़याल से

घिरी रहती हूँ रात-दिन इन्हीं दहशत ज़दा सवालात से

डर लगता है मुझे खुले आसमान की राह से


मेरा वजूद ज़लील-ओ-ख़्वार हो जाने की वजाहात से

हाँ! डरती हूँ मैं 'तलत' खुली हवा में भी लेने में सांस से

दुबारा जन्म नहीं लेना ज़मीन तक लौटनें के इन्तज़ाम में

डर लगता है मुझे खुले आसमान की राह से


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