तुम्हें देखा है इक रोज़
तुम्हें देखा है इक रोज़
तुम्हें देखा है इक रोज़
शब के अन्धेरे में मैनें
तुम्हें महसूस किया है
तन्हाई के मेले में मैंने
तुम कुछ नहीं मेरे फकत
चेहरे की मुस्कान हो
तुम्हारे आने से पहले
तुम्हारा दिदार किया है मैंने
दिल के क़रार को अब तक
बेक़रार रखा था मैनें
तुझको पानें की कोशिश में
नज़र अन्दाज़ कई ख्वाब किए हैं मैंने
तू मुझ तक ज़रूर आएगा इस उम्मीद की लौ में
रतजगे कई न्योछावर मुस्करा कर किए हैं मैंने।

