गौरवगाथा
गौरवगाथा
किस किस की तारीफ करूँ मैं
किस किस को वीर बताऊँ मैं
लाखों लाख वीर शहीद हुये हैं
किस किस की गाथा गाऊँ मैं
वीर गौरवगाथा सुनाऊँ मैं
भारत के इस पावन धरती पर
कितने कितने वीर सपूत हुये
उन वीरों की मैं क्या परिचय दूँ
उन वीरों को शीश झुकाऊँ मैं
वीर गौरवगाथा सुनाऊँ मैं
कभी वीरों के कवच बनूँ मैं
कभी बनूँ मूँगे की मोती
उनके मस्तक तिलक बनूँ तो
मन ही मन इतराऊँ मैं
वीर गौरवगाथा सुनाऊँ मैं
वीर ही नहीं वीरांगनाएँ भी
खूब लड़ी थी डट कर जो
दुश्मन के खट्टे दांत किये
अतीत में एक बार खो जाऊँ मैं
वीर गौरवगाथा सुनाऊँ मैं
दूर किया फिरंगियों को
हँसते हँसते बलिदान दिये
चने चबाने की नौबत उनकी
और क्या क्या बतलाऊँ मैं
वीर गौरवगाथा सुनाऊँ मैं
वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप
कभी वीर कुँवर की बारी थी
और लक्ष्मी बाई भी भारी थी
नाम कितने कितने गिनाऊँ मैं
वीर गौरवगाथा सुनाऊँ मैं