अरसे से लोहे के चने चबा रहे हैं अरसे से लोहे के चने चबा रहे हैं
खत्म हो गया फिर तो बस दादी के दाँतों का, सारा रगड़ा, खत्म हो गया फिर तो बस दादी के दाँतों का, सारा रगड़ा,
दूर किया फिरंगियों को हँसते हँसते बलिदान दिये दूर किया फिरंगियों को हँसते हँसते बलिदान दिये