भारत माँ
भारत माँ
भारत माता हमें प्राणों से भी ज्यादा प्यारी है
इसके कण-कण में महके फुलवारी है
फिर क्या हुआ क्यों भारत की धरा आज दहकी है
सियासी रंगों में रंगी दुनिया सारी है।
संयम की वेदी पर कब तक खुद को अर्पण करोगे तुम
शस्त्रों का करो संधान कब रण चंडी बन आह्वान करोगे तुम
सत्ता के लालच में वेद भूमि भारत टुकड़ों में आज बंट गई
भारत का स्वाभिमान जगाने नव हुंकार करोगे तुम।
याद भी कर लो तुम हल्दी घाटी और जलियाँवाला बाग की कुर्बानी
गान्धार से ब्रह्मदेश लहराता था भगवा सुनो आज मेरी जुबानी
पंजाबी नदियों का कल कल नाद मेरी माँ की शोभा बढ़ाता था
शहीद हुए इस मातृभूमि के लिये उन शहीदों की सुनो कहानी।
जब जब भारत भूमि पर हुआ प्रहार नया इतिहास बन गया
काश्मीर होता जब क्षत विक्षत घाटियों का हाल बुरा हो गया
कब तक सहती रहेगी दहकती रहेगी भारत माँ लहू की धार को
भारत माँ झुलस रही दर्द का सैलाब चहूँ ओर फैल गया।
आजादी के अमृत का हम फिर से मिल रसपान करें
रक्त बहा बहुत यहाँ उस शहीदों की शहादत को याद करें
आजादी का शंखनाद फिर से हम गुंजायमान करे
भारत का अभिमान जगे इसकी माटी को मस्तक पर लगा सम्मान करे।।
