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sargam Bhatt

Abstract Romance Action

4  

sargam Bhatt

Abstract Romance Action

गजल

गजल

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राहों में कांटे बिछाया नहीं करती,

कंकड़ से रास्ता बनाया नहीं करती।


जो तुम बोओगे वही तो काटोगे,

मैं रास्ते में बबूल लगाया नहीं करती।


अब तो रूठना भी मजाक हो गया है,

बेवजह रूठों को मनाया नहीं करती।


स्वार्थी दुनिया में किसका कौन है,

मैं यूं ही बेमतलब वक्त जाया नहीं करती।


हर किसी को मंजिल मुकम्मल नहीं,

दूसरों के बल पर सपने सजाया नहीं करती।


यूं तो दर्द से किसका नाता नहीं है,

हर किसी से अपना दर्द बताया नहीं करती।


वैसे तो दर्द देने वाले सभी अपने थे,

बिना सबूत के इल्जाम लगाया नहीं करती।


अमीर बनते ही लोग रिश्ते भूल जाते हैं,

मुश्किल हालात में मैं ‌भुलाया नहीं करती।


अगर रो रहे हो मेरी वजह से तो चुप हो जाओ,

कभी 'सरगम' किसी को रुलाया नहीं करती।


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