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Amit Kumar

Romance Fantasy Inspirational

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Amit Kumar

Romance Fantasy Inspirational

धुनकी

धुनकी

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मैं अपनी धुनकी में सवार हो गया हूँ,

तू अपनी धुनकी में सवार हो गया है,

उस चाँद के पार कुछ तो ऐसा है,

जो हम दोनों पे सवार हो गया है,

उसकी मख़लूक़ सबके लिए इक जैसी है,

बस हम लोगों की नज़र है,

जिस पर एक फ़ितूर सवार हो गया है,

न उम्र की सीमा है, न जन्म का है बंधन,

अरसों से बरसो तक, कुछ उधार हो गया है,

अब क़ैद सी लगती है, अपनी ही अदायगी,

अपने ही ज़माल का, कुछ कमाल हो गया है,

कोई रोक नहीं सकता अब मेरे जुनून को,

कुछ होश नहीं वाबस्ता, सब अब बदहवास हो गया है,

तेरे भी कई आशिक़, मेरे भी कई आशिक़,

सब आशिक़ों पर अब, इश्क़ सवार हो गया है,

कुछ बेफिक्रे तेरी बानगी से, तरस कर जा रहे है,

तेरी आँखों की मय का उनपर, उन्माद हो गया है।

     


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