धरती
धरती
धरती मेरी प्यारी धरती,
धरती मेरी प्यारी धरती
तू हम सब का
लालन पालन है करती,
लेकिन खुदगर्ज़ इन्सान की
ख्वाहिशें कहाँ है ठहरती
चाहे कर बंजर तुझे
ये दुनिया अपनी जेबें है भरती।
फिर भी तू ना कोई शिकवा
या शिकायत करती
बस निरंतर हमरी
जीवन धारा को उन्नत करती।
धरती मेरी प्यारी धरती,
धरती मेरी प्यारी धरती।