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Amar Adwiteey

Drama

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Amar Adwiteey

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दाम कफ़न का क्या जोड़ेगा!

दाम कफ़न का क्या जोड़ेगा!

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एक दिन छेदीलाल की बिगड़ी,

सगे सेठ से बात

सेठ किरोड़ीलाल ने झट से

दिखला दी औकात

दिखला दी औकात,

बेदखल किया काम से

अब दिखलाना,

जी कर प्यारे बिना दाम के


बिना दाम के इस जग में

कोई काम न चलता

छेदी निकला लुटा-लुटा सा,

हाथों मलता


चढ़ा देहरी, भार्या बोली

आज तो जल्दी आये

दाएं-बाएं आँख चुराए,

नहीं बोल कुछ पाए

नहीं बोल कुछ पाए,

फिर हिम्मत जुट आई

सेठ समझता, वह दाता है,

कहता जो मुख-आई


उसी समय पर, उसे खोजते

भेदी भी आ पहुँचा

छेदी की खुजली को आकर

उसने पुनः खरोंचा


तोला-तोला तोला,

तब आगे भेदी बोला


अर्थ बिना सब अर्थहीन है

अर्थ रहा सबसे महीन है


था पीड़ित, पर छेदी बोला

पैसा ही सब कुछ नहीं होता


भेदी तुरंत तराजू तोला

पैसे बिन कुछ भी ना होता


बहस बढ़ गई अवसर पाकर

मन की बात निकलती बाहर


पर, पैसा कैसा-कैसा हो

एक नम्बर या दो जैसा हो


क्या तुमने गीता नहीं बांची

अच्छा यह बतलाओ साँची

क्या लेकर आये थे चाचा

और लिये क्या जाये चाची


तभी आ गए चाचा खेदी

लगा बदलने, दल-दल भेदी

मैं तो अदना सा मुनीम हूँ

रुपया-अठन्नी दे दी, ले दी


बिन पैसा तो बेबी रोता

बाबा कब इसके बिन सोता


लाखों के बारे न्यारे कर

हुई करोड़ों जिनकी नक़दी

सच, वे ही पैसे वाले हैं

कहकर चुप्पी साधा छेदी


बड़ा हुआ, ना कोई छोटा

जिसके मन पैसे का टोटा

सच में वह केवल मुनीम है

मुनीम ऊँचा, मुनीम खोटा


रखता वह सबका हिसाब है

असली कब तेरी किताब है

अरे मुर्ख, यह तो है कॉपी

पेस्ट करे तू लेकर कॉपी


मुनीमगिरी से पा लो छुट्टी

किसी गुरु से ले लो घुट्टी

महलों से सुख कर हो सकती

एक झोंपड़ी टूटी-फूटी

खरे बाँस, तिनकों से छवि हो

रोज़ चंद्र, माँ, आये रवि हो


जितना अच्छा तू मुनीम है

एक हिसाब फिर भी छोड़ेगा


अच्छा, ये बतलाते जाना

दुनिया से जायेगा जब तू

दाम कफ़न का क्या जोड़ेगा!

दाम कफ़न का क्या जोड़ेगा!


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