हालात कूटते हैं बड़ी खामोशी से। हालात कूटते हैं बड़ी खामोशी से।
एक दिन छेदीलाल की बिगड़ी, सगे सेठ से बात, सेठ किरोड़ीलाल ने झट से दिखला दी औकात! एक दिन छेदीलाल की बिगड़ी, सगे सेठ से बात, सेठ किरोड़ीलाल ने झट से दिखला दी औकात!
खुद के घर से बेदख़ल अब वे वृद्धाश्रम के हो चले। खुद के घर से बेदख़ल अब वे वृद्धाश्रम के हो चले।