चुड़ैल का जादू
चुड़ैल का जादू
आज चुड़ैल ने सबको, अपने वश में कर लिया है।
मानवता को मार कर, अपनी बाहों में कस लिया है।।
विशाल मायावी आकार, आवाज़ बहुत भयानक है।
लाचार बैठा है मानव, ना कोई उसका सहायक है..।।
तबाही का ऐसा मंजर देख, प्रकृति पुकार रही है।
चुड़ैल के वीभत्स रूप को देख, हाहाकार मचा रही है।।
इंसान ही इंसान का, आज दुश्मन बन बैठा है।
भाई-भाई खून के प्यासे, हक मार कर ऐंठा है।।
नहीं दिखता प्रेम, वर्तमान किसी के हृदय में।
ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, कुंठा, फैल रही है प्रणय में।।
हैवानियत का शिकार, ये दुनिया होती जा रही है।
इसकी विकट निरंतरता, पतन की पुंगी बजा रही है।।
बहुत ही मुश्किल है वैसे, इस चुड़ैल के जादू से बचना।
प्रभु ही पार उतार सकेंगे, मन में ईश्वर स्मरण सदा करना।।