चोट
चोट
चोट बातें करती
पर इनकी बातें
एक आम इंसान को
कभी समझ नहीं आती
इनकी बाटे सिर्फ डॉक्टर
ही समझ सकते है
ये डॉ को सब बता देती है
कितनी गहरी है
या कितनी हल्की
इनकी खामोशी
सिर्फ डॉक्टर के ही समझ आती है
शरीर की चोट तो
मरहम से दवाई से
ठीक हो जाती है
पर मन की चोट
आत्मा की चोट
को भरने के लिये
अपनो का प्यार
और साथ
और वक्त चाहिए
होता है
नहीं तो चोट कभी नहीं
भरती और मन में
हमेशा कड़वाहट घोलती है
जो हमेशा जहर बनकर
बाहर निकलती है
पर इस कड़वाहट को
कोई नहीं समझ पाता
हर कोई खड़ूस शख्स कहकर
पुकारने लगता है
चोट आपकी शख़्सियत ही बदल देती है।
