चंदन को घेरे विष भरे चेहरे
चंदन को घेरे विष भरे चेहरे
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चंदन को घेरे आज विष भरे चेहरे है
पर याद रखना ये बात शाम सवेरे है
दुनिया के अंदर सदा ही अच्छाई को,
घेरे हुए रहते बुराई के बादल घनेरे है
पर मिटता अंधेरा है, जीतता सवेरा है
जब भी जंग लड़ते दीपक सुनहरे है
चंदन को घेरे आज विष भरे चेहरे है
नेकी पे आज लग रहे बदी के पहरे है
रिश्तों के डसने से रो रहे अब चंदन
बर्फ में रहकर भी जल रहे अब चंदन
रिश्तों की मीठी-मीठी सी दुनिया में,
मीठा खाकर भी कड़वे हो रहे चंदन
फिर भी चमक रहे चंदन के चेहरे है
क्योंकि वो खुशबू के कोहिनूरी हीरे है
चंदन को घेरे आज विष भरे चेहरे है
फिर भी चंदन बांधे संजीदा सहरे है
अच्छाई के चंदन कभी डूबते नहीं है
क्योंकि वो दरिया होते बहुत गहरे है