STORYMIRROR

Swati Vats

Drama

3  

Swati Vats

Drama

चित्तचोर सावन

चित्तचोर सावन

1 min
13.9K


रुत ये सावन की चित्तचोर नज़र आती हैं

प्रभात में भी रात की वो होड़ नज़र आती हैं


साँवरे से नभ में चमकती बिजुरिया

घनों की घनघोर मे नव भोर नजर आती है


रुत ये सावन की चित्तचोर नज़र आती हैं


हरियाली भी सुकोमल सी किशोरी नज़र आती हैं

मौसमी साँझ सी चहु ओर नजर आती है


पात पात पर टके मोतियों की तरह वो

बूंद-बूंद श्वेतिमा सी कोर-कोर नजर आती हैं


रुत ये सावन की चित्तचोर नज़र आती हैं


विभिन्न विहंगो की विभोर नज़र आती हैं

अन्तरंग पुष्प-तितिक्षु की गठजोड़ नज़र आती हैं


भीगी-भीगी माटी की सौंधी-सौंधी खुशबुएँ

स्वीकृति भी धरा की छोर-छोर नज़र आती है


रुत ये सावन चित्तचोर नज़र आती हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama