STORYMIRROR

छठ व्रत

छठ व्रत

1 min
14.4K


उगते हुए सूरज को,

नमन सभी करते हैं।

कभी डूबते हुए सूरज,

की ओर कर जोड़िए।


रात के बाद ही,

सवेरा दस्तक देता है !

कभी इस बात को,

ज़हन में उतारी।


बुज़ुर्गों की जगह,

अब घरों में नहीं है;

कभी उनके त्याग को याद कर,

अपना कल भी सोचिए !


जो जिंदगी में हार जाते हैं,

कभी उनके भी हौसले बनिए।

माना सूरज की किरणें जरूरी है,

लेकिन चाँद की चाँदनी के,

बिना जीवन अधूरी है।


छठ व्रत देता है नसीहत हमें,

डूबते हुए सूरज को अगर दें;

तो उगते हुए सूरज को करे नमन !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama