सामित है वो !
सामित है वो !


होते होंगे फ़रिश्ते
हर गली चौराहे पर ,
पर आज हमने नय्यर को देखा
एक छोटे से आशियाने में ।
फलों से लदे तरु कभी तनते नहीं ,
खामियों से भरा इंसान
कभी झुकते नहीं।
एक बार दिल से झुक कर
तो देख ऐ रतन !
खुदा खूद तेरी रजा़ पूछेगा
ना जाने मेरी जिंदगी की
जुस्तजू क्या है ?
आज रंगों से भरा आसमां
तो कल रेगिस्तान की धूल!!