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Pooja Ratnakar

Others

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Pooja Ratnakar

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फिर चले जाना...

फिर चले जाना...

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नोक झोंक से सुबह होती थी

नोक झोंक से शाम,

ना जाने कैसा रिश्ता है ये

एक दूजे के बिन ना मिलता था आराम।

 

कभी आप पापा बन जाते

कभी लुटाते मां का प्यार,

सखी बन मेंहदी रचाते

गुरु बन पाठ पढ़ाते ।


यूं तो हर पल मुझे सताते 

बात- बात पर मुझे रुलाते,

जो मैं रूठ जाती कभी 

ना जाने क्या-क्या जतन कर मुझे मनाते।


मेरी हर गलती को छुपा देते थे ,

हर खामियों को खुबियों में बदल देते थे;

अपनी ख्वाबों को दफना 

मेरे ख्वाबों को सजा देते थे।


सच भैया, कहता है ये मन मेरा,

काश हर पल आप मेरे संग होते...


 वो राखी के दिन,

 वो रोली के तिलक

 वो घी के दीए

 वो चावल के दाने 

वो प्यार भरे उपहार...

 सब कुछ बहुत याद आते हैं...


 आप तो सीमा पर हो,

 मैं यहां थाल सजाती हूं।

 ये सच है भैया, है लाखों तेरी बहना

 पर मेरा तो बस तू ही है गहना।


बस राखी के दिन आ जाना 

ये बंधन बंधवा लेना,

रक्षा की वचन दे मुझ को,

फिर वापस चले जाना...


 अपनी छोटी बहना का बस इतना कहना मान लेना!!


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