बाल दिवस
बाल दिवस
काश एक बार फिर,
मेरा बचपन वापस आ जाता !
वो बचपन की सोच;
एक बार फ़िर जेहन में,
आ जाती।
ना कोई हबीब ना कोई रकीब,
सबके लिए एक नजर होता।
मिट्टी से सने चावल के दाने;
एक बार फिर खाने को मिल जाता।
इमली के बीज को उछाल कर खेलती,
गुड़िया की शादी में शहनाइयाँ बजाती,
चूड़ियों के टुकड़े कपड़े में लपेट,
प्यार का पैमाना बनाती।
ये सारी दौलत कोई ले लेता,
बदले में मेरा बचपन मुझे लौटा देता।
काश एक बार फिर,
मेरा बचपन वापस आ जाता है !