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Rishabh Tomar

Drama

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Rishabh Tomar

Drama

डायरी यादों की जब पलटने लगे

डायरी यादों की जब पलटने लगे

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डायरी यादों की जब पलटने लगे

हम गुलाबों की तरह महकने लगे।


तुम बिना मौन तन्हा हुआ थे प्रिये

नाम पढ़कर ही तेरा चहकने लगे।


मुद्दतों बाद ऐसा हुआ आज फिर

मेरे नयनों में जुगनू चमकने लगे।


रोक कर बैठे थे गम मेरे होठ ये

देख तस्वीर तेरी तो हँसने लगे।


प्रेम जब से किया खो गये होश थे

पढ़के बातें तेरी और बहकने लगे।


दूरियों की ये सुधि जाँ जहन आ गई

फूल भी बनके नश्तर से चुभने लगे।


मेरी नजरें प्रिये तुमसे जब भी मिली

प्यार के भाव उस पल उमड़ने लगे।


हीर रांझा सी अपनी मोहबत को जाँ

गीत गजलों में हम अब तो लिखने लगे।


ये जो बेकाम दिल मेरा टूटा 'ऋषभ'

प्यार के गीत तब से निकलने सगे।


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