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Neeraj Samastipuri

Drama

5.0  

Neeraj Samastipuri

Drama

बेटी अंश और वंश है

बेटी अंश और वंश है

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कोख में एक माँ एक माँ को मारती,

देखो सलाह कौन देता है

उस अबला नारी को

जो खुद जन्मा है किसी कोख से यारों,


बेटा चाहिए, बेटा चाहिए,

बेटी की है कहाँ लालसा

आओ मिल के कसम तो खाओ,

हर घर में बेटी को पालो।


ना हो तो भगवन की मर्जी

पर हो तो तू गलत मत हो जाना

मत करो तुम बेटी से नफरत।


बेटी में है दुनिया का प्यार

कम मत आंको बेटियों को,

सुनीता, प्रतिभा और स्मृति

उसी का तो है मिशाल।


आओ हम सब प्रण लें

कि कोख में हर कोई पले

बेटा हो या बेटियाँ

मत करना तू अपना धर्म बेकार।


थोड़ा भी तू किया बेमानी,

तो भगवन को क्या

मुँह दिखाओगे ऐ नर प्राणी

यहाँ आये हो कर्म करने।


तो मत करना कु-कर्म ऐ यारो

ना करना अधर्म ऐ-यारो

मत करना कु-कर्म…!!


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