"कुछ तो बता जिंदगी"
"कुछ तो बता जिंदगी"
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कुछ तो बता जिंदगी मैं किधर जाऊँ
तेरी डोर थामता हुँ तो बिगर जाता हूँ
तेरी राह चलता हूँ तो भटक जाता हूँ
कुछ तो बता जिंदगी मैं किधर जाऊँ।
तेरी ओर देखता हूँ तो भड़क जाता हूँ
तुझसे दूर जाता हूँ तो बिखर जाता हूँ
पास आ के भी कहाँ संभल पाता हूँ?
कुछ तो बता जिंदगी में किधर जाऊँ।
ऐसी दो राह पे ला के मत छोड़ जिंदगी
मजधार में ला के मुँह मत मोड़ जिंदगी
किनारे की चाह में भटकता फिर रहा हूँ
भटके हुए को भटका के मत तोड़ जिंदगी।
कुछ तो बता जिंदगी मैं किधर जाऊँ।।
