दिल में कोई मलाल न होता
दिल में कोई मलाल न होता
अच्छा होता दिल में कोई मलाल न होता
दिल खुश रहता और अपना भी बुरा हाल न होता।
हो जाती इश्क़ की सब अधूरी कहानियाँ गर पूरी
फिर बेवफा होने का आज कोई सवाल न होता।
हम भी किसी के लिए चाँद-तारे तोड़ कर लाते
गर ग़मों से भरा अपना महफ़िल न होता।
लिख देता उसका नाम भी अपनी ग़ज़लों में
मेरे लिखने से गर उसके घर में कोई बवाल न होता।
भूल जाते लोग शाहजहाँ के प्यार को भी
यमुना के तट पर खड़ा गर वो ताजमहल न होता।