चाहत
चाहत
पढ़ कर दो चार लफ्ज़ किताबों से,
मुकम्मल करना पूरा जहां चाहता है,
मैं जितना चाहती हूँ उसे,
वो मुझे उतना कहां चाहता है।।
ये मेरा वक्त है जो वो मुझे ही नहीं देता,
खुद वो शांत सागर सा है और
मुझमें तूफानों सा तेज़ हवा चाहता है।।
पढ़ कर दो चार लफ्ज़ किताबों से,
मुकम्मल करना पूरा जहां चाहता है,
मैं जितना चाहती हूँ उसे,
वो मुझे उतना कहां चाहता है।।
ये मेरा वक्त है जो वो मुझे ही नहीं देता,
खुद वो शांत सागर सा है और
मुझमें तूफानों सा तेज़ हवा चाहता है।।