और क्या करती
और क्या करती
तुझे देख आंहें ना भरती क्या करती,
तुझे छू के उफ़ ना करती क्या करती,
ये मेरे दिल में तेरी मौजूदगी ऊपर से खाली पन,
मैं तुझसे दूर होने की कोशिश ना करती क्या करती
तू मुझसे फासलों की वजह ना पूछ फकत इतना बता,
तेरा मेरे होने का इंतजार ना करती क्या करती।
और ये दुनिया जो कहती है सबर रख वक्त हाथों में आने तो दे,
मैं घड़ियों में चाबी ना भरती क्या करती।।।