याद
याद
रात को दिन और दिन को रात बना कर सो जाना
जब बाते ना बने तो कोई बात बना कर सो जाना
तमाम सुबह करना इंतजार उसके टेक्स्ट का,
हर एक रात तकिए के नीचे फोन दबा के सो जाना।
रात को दिन और दिन को रात बना कर सो जाना
जब बाते ना बने तो कोई बात बना कर सो जाना
तमाम सुबह करना इंतजार उसके टेक्स्ट का,
हर एक रात तकिए के नीचे फोन दबा के सो जाना।