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Sweta Mahi

Romance

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Sweta Mahi

Romance

ले गया सब कुछ मेरा जाते जाते

ले गया सब कुछ मेरा जाते जाते

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आशिक की आशिक़ी भी,बची खुची दिल्लगी भी,

जाते जाते वो सब ले गया,अपनी गज़ले भी,मेरी शायरी भी

एक दरिया थी उसकी यादें,निकलते निकलते डूबी कश्ती भी,

मैंने उस रोज आखरी बार देखा उसे,दिल रोया और रोई आंखे भी।

घर आते वक्त पैर थरथरा रहे थे,अटक रही थी सांसे भी,

कुछ तो खत्म हुआ था मुझमे,एक बार ये पूछा मां ने भी

हर राह पलके बिछाया मैंने,सब खोया क्या पाया मैंने,

हर कोशिश मुक्कमल नही होती,ये जानने में लगे कुछ महीने भी

उसकी बाहों में बिखर सी जाने वाली मैं,

उसकी खुशी से निखर सी जाने वाली मैं,

एक बार निकली तो पलटकर नही देखा उसे,

हाँ रात भर जगती रही कुछ हफ्ते भी।


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