हयात
हयात
पिछले जाड़े मेरा उस शख्स से मिलना हुआ है
उसी दिन से उससे इश्क हुआ और अच्छा खासा हुआ है
तुम मेरी आंखों में झांकोगे तो समंदर पाओगे,
वो समंदर जो खुद दरिया में डूबा हुआ है।
सोचती, निहारती, महसूस करती हूं उसे हर लम्हे,
मेरे लमहे लमहे में हर लमहे वो ऐसा शामिल हुआ है।
उसके दोस्तों ने हंसते खेलते मेरे हयात में उसका नाम लिख दिया,
मेरा एक सहदौर भी इस खेल से जुड़ा हुआ है।।
अपनी जुंबिश को थाम उसका हाथ थामे रखती हूं,
आने वाले बरस हमारे मिलन का वादा हुआ है।
आकाश को तकते तकते परवाने ने, ना जाने कैसे एक साल गुज़ार लिए
खुदा जनता है दोनों ने कैसे खुद को रोका हुआ है।