परिचय
परिचय
मेरा उसका परिचय बस इतना था,
एक शब्दों का दरिया, एक ख़ामोशी का समुंदर था।
ना आँखों की बातें, ना चेहरे के जज़्बात,
बस बहते वक़्त के संग,
एक अजनबी का साथ था।
ना पूछा उसने, ना मैंने बताया,
दिल के राज़, सिर्फ़ हवाओं ने सुनाया।
वो आया था एक चाँद की तरह,
रात भर रोशनी दे, सुबह तक गुम था।
कभी ना समझा, कभी समझ भी लिया,
जो था, शायद एक सपना था देखा हुआ।
मेरा उसका परिचय बस इतना था,
एक मुलाक़ात का क़िस्सा, जो अधूरा सा था।
उसकी हंसी में बसा कोई गीत था,
उसकी खामोशी में कोई अनकहा प्रीत था।
मैं सोचता रहा,
वो क्या कहना चाहता था,
और वो शायद ये समझता रहा,
मैं क्या पूछना चाहता था।
उसकी आँखों में एक अनजान जहाँ था,
जैसे कोई दास्तान,
जो अभी अधूरी लिखी गई थी वहाँ।
मेरे पास शब्द थे, पर साहस नहीं,
और उसके पास ख़ामोशी थी,
पर वो समझाने को तैयार नहीं।
वक़्त ने फिर अपनी चाल चली,
हम दोनों अपने रास्तों पे निकल पड़े वहीं।
ना कोई वादा, ना कोई निशान,
बस यादें छोड़ीं, जैसे रेत पे कुछ देर का मकान।
मेरा उसका परिचय बस इतना था,
एक पन्ना किताब का,
जो हवा में बिखरा हुआ था।
उसकी कहानी मेरी ज़िंदगी में जज़्ब हो गई,
और मेरी ख़ामोशी उसकी यादों में बस गई।

