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Vivek Mishra

Romance Tragedy Classics

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Vivek Mishra

Romance Tragedy Classics

जरूरी है क्या

जरूरी है क्या

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सब कुछ कह कर ही सबको बताना ज़रूरी है क्या,
तेरे साँचे में ढल ही जाना ज़रूरी है क्या।

ये ख़ामोशी भी तो मेरी गवाही देती है,
हर लफ़्ज़ में मोहब्बत जताना ज़रूरी है क्या।

तेरी राहों में जो काँटे हैं, उन्हें छुपा लूँ मैं,
तेरी ख़ातिर मुस्कुराना ही ज़रूरी है क्या।

तेरी मोहब्बत में एक मलंग, एक पागल हूँ अब मैं,
तेरे जैसा ही नज़र आना ज़रूरी है क्या।

अब तेरी यादों में जी रहा है ये दिल,
मगर तुझे ये बताना ज़रूरी है क्या।

तेरे बिना भी तो साँसें चल रही हैं यहाँ,
तेरे होने पे ही जी पाना ज़रूरी है क्या।

वक़्त की रेत पे लिखे थे जो वादे हमने,
उन्हें हर हाल में निभाना ज़रूरी है क्या।

तेरी मोहब्बत ही मेरी दुनिया है अब,
मगर तुझे ये जताना ज़रूरी है क्या।

रूह तक जल रही है तेरी तलब में विवेक,
इस आग को सबको दिखाना ज़रूरी है क्या।


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