हक
हक
ये तौर-तरीक़े उनके, सारे लहजे कितने ही शक़ में हो,
उन्हें तो बात वही सुननी है, जो उनके हक़ में हो।
क़लम से सच लिखा तो ख़तरे बढ़ते जाते हैं जबाँ पर
कि हुक्म अब तो वही चलना है, जो उनके हक़ में हो।
अब कहाँ जाके मांगे खैरियत अपनी बेगुनाही की , उन्हे तो
फ़ैसला तब है क़बूल जब वो उनके हक़ में हो।
वफ़ा की बात करो या इन्साफ़ का सबक़ पढ़ो,
सज़ा वही मिलेगी तुमको जो उनके हक़ ही में हो।
हमारे जज़्बे, हमारी आहें, हमारे सारे सवाल,
जवाब बस तभी मिलेगा जो उनके हक़ ही में हो।
