एक कविता
एक कविता
कहते हैं, हर इंसान के भीतर एक ऐसी जगह होती है
जहाँ वो अपने सबसे अधूरे लम्हे छुपा देता है—
कोई टूटी हुई याद, कोई आधा-सच, कोई अधूरा ख़्वाब।
वहीं से जन्म लेते हैं, शब्द
वहीं से एक बेचैनी कलम तक पहुँचती है,
और वहीं से एक कहानी,
धीरे-धीरे कविता बन जाती है।
कविता - अनलिखि सी
कविता जो न कभी सच्ची थी
न होगी,
बहुत अधपके से जज़्बातों में ज़िन्दगी के बीच से निकली;
बड़ी ही आम सी ज़रूरतों की नकली बेचैनी में पली,
पुराने झूठों की विरासत के लिए
बस कुछ कह देने की लत है।
एक कविता और क्या है
कविता, किसी की याद में
नस न काटने का बेहतर विकल्प है,
कविता, किसी को अपने ही ख़यालों में
जिंदा रखने की आदत है।
कविता, नाकाम प्रेम को फिर से
सहेजने की नाकाम कोशिश है।
कविता हार का मातम है,
कविता उदासी का जागरण है।
कविता,
रात के अंधेरे में बुझते हुए चिराग़ का
आख़िरी धुँआ है,
जिसमें रोशनी तो नहीं,
पर जलने का सबूत बाकी है।
कविता,
एक हारे हुए दिल की
धीमी-सी सांस है,
जो कहती है—
सच चाहे जितना भी कड़वा हो,
झूठ जितना भी पुराना हो,
ज़िन्दगी जितनी भी बोझिल हो...
लिखना ही जीने का आख़िरी बहाना है।
और इसी लिए लिखता हू कविता
एक कविता है।
तो जीवन है
प्रेम का संगम भी है

