वो मुलाक़ात
वो मुलाक़ात
हमारी वो एक ही बार की मुलाक़ात थी
फिर ना मैं उससे मिलने गया और
ना उसने मुझे बुलाना ज़रूरी समझा।
मुझे याद है जब तुमने कहा था , मेरा इंतज़ार करना ।
उस समय मैं ये बातें फ़िज़ूल मानता था ,
भला कौन सा गया हुआ व्यक्ति मुड़ कर वापिस आया है।
लेकिन अब मुझे लगता है मानो मैं कबसे तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा हूं।
मैं जानता हूं , ये बात तुम्हें मालूम भी नहीं होगी,
मगर तुम सुनो जाना
तुम मेरी कभी पूरी न होने वाली मोहब्बत बन गई हो।
मेरे दिल और दिमाग में बस तुम ही हो
हर पल , हर समय , मैं बस तुम्हें ही सोचता हूं ।
मेरे हिज़्र में बस तुम ही बसे हुए हो ।
एक पहर से दूसरी पहर , दूसरी पहर से तीसरी पहर
और न जाने कितना समय बीत गया है, तेरा इंतज़ार करते करते
काश तुम समझ जाओ और आ जाओ मेरे पास ।
मेरी दिल ए तमन्ना है कि
जो एक मुलाक़ात हमने की थी क्यों न हम उसको ज़िंदगी में रोज़ की मुलाक़ात में बदल लें।
मगर जनता हूं मैं ये कभी नहीं होगा ।
और ये ऐसे ही ख़त्म हो जाएगा ।

